मुक्त्य
पांव-पांव चलना पड़ा,
डगर-डगर रुकना पड़ा ,
जिंदगी तेरी चौखट पर,
बार-बार झुकना पढ़ा
तवायफ सी खरीदी,
कोडियों के मोल खुशियां
हाट -हाट किस्मत से हमें,
बेभाव बिकना पढ़ा
अनमोल अरोड़ा
मधुर गमों से घिर कर भी आप का ख्याल आता रहा था तुम जैसा कोई ...
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