*योगेश्वर श्रीकृष्ण
जन्मोत्सव, कुछ बेहद भद्दे सन्देश प्राप्त हुए, कृष्ण भगवान को लेकर, उन संदेशों को
जवाब देती ये कविता*
द्वारका के राजा सुनो
, हम आज बड़े शर्मिंदा है ,
भेड़चाल की रीत देखो
आज तलक भी जिन्दा है |
व्हाट्सएप्प के नाम
पे देखो मची कैसी नौटंकी है ,
मजाक आपका बनता है,
ये बात बड़ी कलंकी है |
दो कोड़ी के लोग यहाँ
तुम्हें तड़ीपार बतलाते है ,
अनजाने में ही सही,पर
कितना पाप कर जाते है|
जिनके मन में भरी हवस
हो,महारास क्या जानेंगे,
कांटें भरे हो जिनके
दिल ,नरम घास क्या जानेंगे |
जिनको खुद का पता नहीं,
वो तेरा कैरेक्टर ढीला बोलेंगे,
जो खुद मन के काले है,वो
तुझे रंगीला बोलेंगे |
कालिया नाग भी ले अवतार
तुझसे तरने आते थे,
तेरे जन्म पे स्वतः
ही जेल के ताले खुल जाते थे |
तूने प्रेम का बीज बोया
गोकुल की हर गलियों में,
मुस्कान बिखेरी तूने
कान्हा ,सृष्टि की हर कलियों में |
दुनिया का मालिक है
तू ,तुझे डॉन ये कहते है,
जाने क्यों तेरे भक्त
सब सुन कर भी चुप रहते है।
गोकुल की मुरली को छोड़
, द्वारकाधीश का रूप धरो ,
हुई शिशुपाल की सौ गाली पूरी, अब
उसका संहार करो |
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