अपने सीने से लगा कर हुये उम्मीद की लाश
मुद्दो की ज़िंदगी को
नख़ुश किया है मैंने
ऐ कविता तुने तो एक ही
गम से किया था दो चारदिल को हर तरह से
बर्बाद किया है मैंने
अपने सीने से लगा कर हुये उम्मीद की लाश
मुद्दो की ज़िंदगी को
नख़ुश किया है मैंने
ऐ कविता तुने तो एक ही
गम से किया था दो चारदिल को हर तरह से
बर्बाद किया है मैंने
हर गजल का प्यार से आगाज़ होना चाहिए, शेर कहने का यही अंदाज होना चाहिए। दोस्तों की दोस्ती पर नाज होना चाहिए, दुश्मनों से प्यार का आगाज हो...