Wednesday 19 October 2016

......जीवनसाथी........


......जीवनसाथी.........
तुमसे रुठ भी जाऊं मेरे प्रिय ,
तुम्हारे लौटने का इंतज़ार होता है ।
तैरती खामोशियो के मंजर पर,
"सुनो तो" का असर हर बार होता है ।
शिकवे अपनी जगह इस रिश्ते में,
मुस्कुराना ही मनुहार होता है ।
 संग न महज आसां राहों का मगर ,
दुःखो पर भी मेरा अधिकार होता है ।
मन की गिरह जब जब खुले ,
नयी शुरुवात जैसे त्यौहार होता है ।
 व्रत ,पूजन सब तुम्हारी खातिर,
चाँद से सजदा मेरा हर बार होता है ।
ये कैसा रिश्ता सात फेरो में बंधा ,
शिकायत जिनसे उन्ही से प्यार होता है।
( ...करवाचौथ की शुभकामनाये और बधाइयां )

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