Monday 22 April 2013

वाह रे मेरी दुनिया ! कैसी बना दी इसकी दशा.



वाह रे मेरी दुनिया ! कैसी बना दी इसकी दशा..

पहले दामनी की अस्मत लूटी हैवानो ने
तब कहते थे की दामनी देश शर्मिंदा हैं,
अब और किसी को दामिनी नही बनने देंगे..
मोमबती जलाई गई, तख्तिया... सजाई गई,
जन्तर मन्तर हो या फिर इंडिया गेट
सब जगह जाकर सबने अलख जगाई ..
मिला क्या, दामिनी अपना दर्द ले शांत हो गई,
मोमबतिया बुझ गई, तख्तिया राख हो गई,
एक बेटी अपना दर्द लिए हमेशा के लिए सो गई..

दामिनी के बाद भी ये सिलसिला नही रुका,
ना जाने कितनी दामिनी का सर झुखा,
2 माह की बेटी से ले कर 60 साल की औरत
की अस्मत लूटने का कारवा ना रुका..
सरकार ने पहनी चूड़िया, तो जाग गए बलात्कारी,
बहन बेटी तेरी हो या मेरी हो नहीं छोड़ेंगे ये बलात्कारी..
आज पांच माह की बेटी पे पड़ रही हैं जिंदगी भारी,
गुडिया तेरी अस्मत लूटने का दर्द क्या जाने ये अधिकारी..

फिर वही सिलसिला शुरू हो गया मोमबतिया,
और तख्तियो के साथ नारों का सिलसिला शुरू हो गया..
"गुडिया देश शर्मिंदा हैं.." क्या खाख देश शर्मिन्दा हैं,
दो दिन में भूल जायेंगे ये सब, अब कहा इंसानियत जिन्दा हैं
लूटती रहेंगी तब तक नारी की अस्मत इस देश में,
जिस देश में दो चेहरे वाले लोग इस देश में जिंदा हैं..
मुझे माफ़ करना बिटिया रानी, " ऋषि " आज बहुत शर्मिंदा हैं,
तेरी अस्मत जिन्होंने लूटी वो अभी भी जिंदा हैं.. :( :(


।।बेटीयों को बचाने के अभियान में सहभागी बनीये...
।।

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