जीवन में ये
सपने कितने अजीब
होते हैं,
कभी मुंदती आँखों
की पलको पर,
कभी सूने घर
के मुंडेर पर,
कभी शहरों की
गलियों में,
तो कभी आवारा
राहों में,
ये पहचान हमारी
अपनी संजोते हैं.
जीवन में ये
सपने कितने अजीब
होते हैं,
तंग गलियों में मरते नहीं, अकेलेपन से भी डरते नहीं, थकने हमें देते नहीं, रुकने हमें देते नहीं, रोज ही हममें ये आशा नई पिरोते हैं, जीवन में ये सपने कितने अजीब होते हैं,
कभी हमसे हमारा ही परिचय कराते, कभी दिल के कोने में दुबक जाते, तो कभी उमडते- घुमडते, जीवन में नया उल्लास भरते, कभी दूर तो कभी हमारे करीब होते हैं जीवन में ये सपने कितने अजीब होते हैं
तंग गलियों में मरते नहीं, अकेलेपन से भी डरते नहीं, थकने हमें देते नहीं, रुकने हमें देते नहीं, रोज ही हममें ये आशा नई पिरोते हैं, जीवन में ये सपने कितने अजीब होते हैं,
कभी हमसे हमारा ही परिचय कराते, कभी दिल के कोने में दुबक जाते, तो कभी उमडते- घुमडते, जीवन में नया उल्लास भरते, कभी दूर तो कभी हमारे करीब होते हैं जीवन में ये सपने कितने अजीब होते हैं
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