Monday 28 January 2013

ये दिल कुछ और समझा था



वो जज्बों की तरह थी ये दिल कुछ और समझा था,
उसे हंसने की आदत थी ये दिल कुछ और समझा था...
मुझे उस ने कहा आओ नई दुनिया बसाते हैं,
उसे सूझी थी शरारत ये दिल कुछ और समझा था...
वो मेरे पास बैठे देर तक ग़ज़लें मेरी सुनती...
उसे खुद से मोहब्बत थी ये दिल कुछ और समझा था...
हमेशा उसकी आँखों में धनक के रंग होते थे,
ये उसकी आम आदत थी ये दिल कुछ और समझा था...
मुझे वो देखकर अक्सर निगाहें फेर लेती थी,
ये दरपर्दा हरक़त थी ये दिल कुछ और समझा था

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